इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा कि आरटीई एक्ट के तहत शुरुआती शिक्षा पूरी होने तक विद्यार्थियों को किसी कक्षा में रोकने या फेल करने पर प्रतिबंध का प्रावधान समेत पूरा आरटीई एक्ट सभी प्राइवेट असहायता प्राप्त स्कूलों पर भी लागू होता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम - 2009(आरटीई एक्ट) के तहत शुरुआती शिक्षा पूरी होने तक विद्यार्थियों को किसी कक्षा में रोकने या फेल करने पर प्रतिबंध का प्रावधान समेत पूरा आरटीई एक्ट, सभी प्राइवेट असहायता प्राप्त स्कूलों पर भी लागू होता है। कोर्ट ने दो बच्चों को खराब शैक्षणिक प्रदर्शन की बात कहकर कक्षा में रोकने के राजधानी के एक प्राइवेट स्कूल के निर्णय को आरटीई एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करार देकर उन्हें फिर से दाखिला देने समेत उनके री एग्जाम कराने का आदेश दिया।
खराब प्रदर्शन के चलते स्कूल ने पिछली कक्षा में ही रोक लिया था
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला 11 और 14 साल के दो बच्चों की ओर से उनके पिता द्वारा दाखिल याचिका को मंजूर करके दिया। दोनों बच्चे लखनऊ के एक आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूल में कक्षा छह और नौ में पढ़ रहे थे। याचियों का कहना था कि इन्हें, स्कूल द्वारा सत्र 2024- 25 की परीक्षा में कम उपस्थिति और खराब शैक्षणिक प्रदर्शन की बात कहकर कक्षा में रोक दिया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि दोनों बच्चों को रोका जाना आर टी ई एक्ट की धारा 16 के तहत गैर कानूनी था, क्योंकि, इस धारा में प्रावधान है कि किसी भी बच्चे को शुरुआती शिक्षा पूरी होने तक न तो पिछली कक्षा में रोक जायेगा या स्कूल से बाहर किया जाएगा। ऐसे में स्कूल का निर्णय मनमाना था। उधर, स्कूल के अधिवक्ता ने दलील दी कि प्राइवेट असहायता प्राप्त स्कूलों पर आरटीई एक्ट पूरी तरह से लागू नहीं होता है। इसके तहत कम उपस्थिति और खराब शैक्षणिक प्रदर्शन की वजह से दोनों बच्चों को रोका गया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया गया हवाला
कोर्ट ने इस दलील को खारिज करके उच्चतम न्यायालय की एक नजीर के हवाले से कहा कि आर टी ई एक्ट के प्रावधान, अधिनियम की धारा 2(एन) में परिभाषित स्कूलों समेत सभी प्राइवेट असहायताप्राप्त स्कूलों पर भी आर टी ई एक्ट पूरी तरह से लागू होते हैं। इनमें धारा 16 का बच्चों को रोक जाने का प्रतिबंध भी शामिल है, जो असहायताप्राप्त स्कूलों पर बाध्यकारी है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली।

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